This article will share Eklavya Questions & Answers एकलव्य प्रश्न और उत्तर।
पिछले पोस्टों में मैंने Tum Hamari Chotiyon Ki Barf Ko Yun Mat Kuredo, Chinti, Koi Nahi Paraya और Kya Nirash Hua Jaaye के Questions & Answers शेयर किये हैं तो आप उसे भी चेक कर सकते हैं।
Eklavya Questions & Answers एकलव्य प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: सही विकल्प चुनिए:
(क) काम की सफलता किस बात पर निर्भर करती है?
i. आर्थिक-समृद्धि
ii. प्रबल निश्चय
iii. श्रेष्ठ गुरु
iv. साधन-सुविधा
(ख) एकलव्य किसके सामने धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहा था?
i. सरस्वती के सामने
ii. भगवान के सामने
iii. द्रोणाचार्य की मूर्ति के सामने
iv. कृपाचार्य की मूर्ति के सामने
(ग) द्रोणाचार्य को किसे दिया हुआ वचन याद आता है?
i. भीष्म पितामह
ii. पांडव पुत्र
iii. कृपाचार्य
iv. धृतराष्ट्र
(घ) इस कहानी से हमें क्या संदेश मिलता है?
i. अपने आत्मबल के साथ एकाग्र होकर अपना काम करना चाहिए।
ii. परिवार के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए।
iii. अपना काम सुविधा-संपन्न होकर करना चाहिए।
iv. ज्ञान-विज्ञान में रुचि लेनी चाहिए।
प्रश्न 2: एकलव्य का संक्षिप्त परिचय लिखिए।
उत्तर: एकलव्य के संबंध में महाभारत में जो कथा बताई गई है उसके अनुसार एकलव्य श्रृंगवेरपुर के निषाद-राजा हिरण्यधनु और रानी सुलेखा का पुत्र था। बचपन में उसका नाम अभय था। अभय अर्थात जिसे किसी का भय न हो। वह जंगल में रहता था। समय आने पर वह अपनी जाति के गुरुकुल में शिक्षाप्राप्ति के लिए गया। वह बड़ा ही मेधावी शिष्य था। उसकी प्रतिभा को देखते हुए उसके गुरु ने एकलव्य के नाम से उसका नामकरण किया। अल्पकाल में ही वह सभी विद्याओं में परांगत हो गया। एकलव्य को धनुर्विद्या में बड़ी रुचि थी लेकिन जंगल में उच्च स्तर के गुरु न होने के कारण धनुर्विद्या सीखने की उसकी चाह बनी रही।
प्रश्न 3: एकलव्य ने किसे अपना गुरु बनाना चाहा और क्यों?
उत्तर: एकलव्य को धनुर्विद्या में बड़ी रुचि थी लेकिन जंगल में उच्च स्तर के गुरु न होने के कारण धनुर्विद्या सीखने की उसकी चाह बनी रही। उस समय धनुर्विद्या के लिए द्रोणाचार्य सर्वश्रेष्ठ गुरु माने जाते थे। इसलिए एकलव्य भी गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखना चाहता था।
Eklavya Questions & Answers एकलव्य प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 4: एकलव्य की गुरुभक्ति सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एकलव्य धनुर्विद्या सीखने के उद्देश्य से द्रोणाचार्य के पास गया था किंतु गुरु द्वारा इंकार किए जाने पर भी वह निराश नहीं हुआ। वह इस निश्चय के साथ घर से निकला था कि केवल द्रोणाचार्य को ही अपना गुरु बनाकर उनसे धनुर्विद्या सीखेगा। अतः उसने वन में एकांत स्थान पर गुरु द्रोणाचार्य की एक मिट्टी की मूर्ति बनाई। वह मूर्ति को ही प्रत्यक्ष गुरु मानकर उसकी ओर एकटक देखने लगा। मूर्ति रूप में गुरु का ध्यान करके उसी से प्रेरणा लेकर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगा। न चाहते हुए भी अपनी प्रतिज्ञा से मजबूर होकर द्रोणाचार्य एकलव्य की प्रतिभा को कम करने के लिए गुरुदक्षिना के रूप में उससे उसके दाहिने हाथ का अंगूठा मांगते हैं, जिसे एकलव्य तुरंत काटकर दे देता देता है और स्वयं को धन्य मानता है।
प्रश्न 5: द्रोणाचार्य ने एकलव्य से जो गुरुदक्षिणा माँगी, क्या वो सही थी? अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जब द्रोणाचार्य ने एकलव्य से दाहिने हाथ का अंगूठा माँगा, तो एकलव्य ने सहर्ष अपना अँगूठा काटकर गुरु के चरणों में रख दिया। इससे एकलव्य का अहित नहीं हुआ बल्कि उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई और वह एक ऐतिहासिक पुरुष बन गया। अतः यहाँ पर परिस्थितिवश द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अँगूठा माँगकर अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुधर के रूप में देखना चाहा परन्तु दूसरी ओर एकलव्य ने अपनी शिष्यता का परिचय देते हुए अपना परम धर्म निभाया। यहाँ पर द्रोणाचार्य ने स्वार्थवश एकलव्य से अंगूठा माँगकर गलत किया और उसकी गिनती सर्वश्रेष्ठ धनुर्धरों में न होने दी। स्पष्टतः द्रोणाचार्य ने अपनी गुरु की मर्यादा को परिलक्षित करते हुए, शिष्य को भी शिष्यता और आज्ञाकारिता को मार्यादित किया है।
तो ये थे Eklavya Questions & Answers एकलव्य प्रश्न और उत्तर।