Tiranga Poem Summary | तिरंगा कविता व्याख्या

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यह कविता श्रीप्रसाद द्वारा रचित है। पिछले पोस्ट में मैंने Tiranga Questions & Answers | तिरंगा प्रश्न और उत्तर शेयर किये हैं तो आप उसे चेक कर सकते हैं। 

शब्दार्थ

  • आकाश छूना – प्रगति करना
  • छाया – आसरा
  • चमकाया – रोशन किया
  • आसभरोसा
  • कुर्बानी – बलिदान
  • झंडे के नीचे आना – इक्कठ्ठे होना
  • गुलाम – सेवक
  • अडिग – अपने स्थान से न हटने वाला
  • थर्राया – डर गया

Tiranga Poem Summary | तिरंगा कविता व्याख्या

1. छूता है आकाश तिरंगा……………..जन-गण-मन है गीत सुहाना ।

कवि ने इस कविता के माध्यम से तिरंगे झंडे को बहुत ही खास बताया है। वे कह रहे हैं कि यह तिरंगा भारत का भरोसा है। हमारा प्यारा तिरंगा आकाश को छूते हुए बादल के पास है। यह हमारे देश भारत पर छाया हुआ है । सूरज की रोशनी मिलते ही झंडे में अनोखी चमक आ गयी है । हवा के हल्के झोंकों से तिरंगा झंडा लहरा रहा है, जिसे देख सभी जन-गण-मन नामक गीत गा रहे हैं। 

2. इस झंडे के नीचे आना………………….सबके मन में चढ़ा तिरंगा । 

भारत जब गुलामी की जंजीर में बंधा था तब भी इस झंडे को नीचे नहीं आने दिया अथार्त झंडे को झुकने नहीं दिया। इसी झंडे का सहारा लेते हुए सबने सुर में सुर मिलाया और दुश्मनों को खदेड़  भगाया। झंडे की शान बनाए रखने के लिए सारा देश एक जुट हो  गया, जिसे देख कर दुश्मन घबरा गया ।

इस तिरंगे ध्वज के लिए जितने लोगों ने भी कुर्बानी दी, वे सभी स्वदेशी थे अथार्त उन्हें अपने देश पर अभिमान था। उन्हें अपने देश और झंडे पर गर्व था। आज वह तिरंगा अपने स्थान पर गर्व से खड़ा है जो सबके लिए शान की बात है। 

कविता की सीख

इस किवता के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि हमें आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए । किसी से भी भेदभाव नहीं रखना चाहिए । हमें अपने राष्ट्र तथा राष्ट्र ध्वज का सम्मान करना चाहिए । हमेशा उसका गौरव करना चाहिए। 

तो यह थी कविता की व्याख्या।

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