This article will share Do Laghu Kavitayen Mausam Par Questions & Answers दो लघु कविताएँ मौसम पर प्रश्न और उत्तर
पिछले पोस्टों में मैंने Himalaya Darshan, Filman Aur Bossis और Arjun Ka Moh Bhang के Questions & Answers शेयर किए हैं तो आप उसे भी चेक कर सकते हैं।
Do Laghu Kavitayen Mausam Par Questions & Answers दो लघु कविताएँ मौसम पर प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: किस मौसम को कवि ने बंद खिड़कियों और किवाड़ों का दिन कहा है?
उत्तर: जाड़े को कवि ने बंद खिड़कियों और किवाड़ों का दिन कहा है।
प्रश्न 2: किसके रूप का जवाब नहीं है?
उत्तर: जाड़े के रूप का जवाब नहीं है।
प्रश्न 3: जाड़े के दिन में खिलने वाले किस फूल का वर्णन है?
उत्तर: जाड़े के दिन में खिलने वाले सूरजमुखी फूल का वर्णन है।
प्रश्न 4: किस मौसम में स्कूल बाहर लगते हैं?
उत्तर: जाड़े में स्कूल बाहर लगते हैं।
प्रश्न 5: कवि को गर्मी के दिनों में किसकी मुस्कान सच्ची लगती है?
उत्तर: कवि को गर्मी के दिनों में सुराही की मुस्कान सच्ची लगती है।
प्रश्न 6: कवि ने द्रोपदी की साड़ी किसे बताया है?
उत्तर: कवि ने गर्मी की धूप को द्रोपदी की साड़ी बताया है।
प्रश्न 7: कवि ने ‘माँ की लोरी’ किसे कहा है?
उत्तर: कवि ने ‘माँ की लोरी’ को हवादार पेड़ों के साए कहा है।
प्रश्न 8: ‘बंद-बंद खिड़कियों किवाड़ों के दिन’ तथा ‘दरवाज़े मारे हर घर ने’ – दोनों पंक्तियों के अर्थ में समानता है किंतु मौसम में अंतर है। समझाओ कैसे?
उत्तर: ‘बंद-बंद खिड़कियों किवाड़ों के दिन’ का अर्थ जाड़े के दिनों से है। इस मौसम में लोग घरों की खिड़कियाँ और दरवाज़े ठंड से बचने के लिए बंद कर देते हैं। ‘दरवाज़े मारे हर घर ने’ का अर्थ गर्मी के दिनों से है। लू से बचने के लिए लोग घरों के दरवाज़े बंद करते हैं।
प्रश्न 9: आशय स्पष्ट करो – ‘कमरों के बाहर स्कूल लगे।’
उत्तर: इसका अर्थ है – सर्दियों में धूप के लिए विद्यार्थियों को कमरों के बाहर बिठाया जाता है।
प्रश्न 10: अर्थ स्पष्ट करो – ‘धूप द्रौपदी की साड़ी थी, उस कपड़े का थान लगी।’
उत्तर: इसका अर्थ है – गर्मी के दिनों में धूप द्रौपदी की साड़ी की तरह फैली रहती है। छाया बहुत कम होती है। चारों ओर धूप ही धूप दिखाई देती है।
प्रश्न 11: ‘सूरज की दुकान लगी’ लघु कविता में कवि ने सुराही के ओठों की मुस्कान को सच्चा क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने सुराही के ओठों की मुस्कान को सच्चा इसलिए कहा है क्योंकि गर्मी के दिनों में सुराही का ठंडा पानी ही हमारी प्यास बुझाता है और गर्मी से राहत देता है।
प्रश्न 12: ‘जाड़े के दिन’ लघु-कविता में कवि ने जाड़े का रूप-वर्णन ‘बर्फ का बदन, चेहरा धूप का’ कहकर किया है। स्पष्ट करो।
उत्तर: जाड़ों के दिनों में चारों ओर कोहरा छाया रहता है। धूप बहुत कम निकलती है। इसलिए कवि ने जाड़े का रूप-वर्णन ‘बर्फ का बदन, चेहरा धूप का’ कहा है।
प्रश्न 13: गर्मियों को कवि ने ‘अनचाहा मेहमान’ क्यों कहा है?
उत्तर: गर्मियों में गर्मी असहनीय हो जाती है। सारा जन-जीवन ठप्प पड़ जाता है। गर्मी का मौसम किसी को अच्छा नहीं लगता। इसलिए कवि ने इसे अनचाहा मेहमान कहा है।
प्रश्न 14: इन कविताओं के आधार पर सर्दी और गर्मी में पाँच अंतर लिखो।
उत्तर:
- सर्दी के मौसम में ठंड अधिक होती है और गर्मी में गर्मी अधिक लगती है।
- सर्दी में हम गर्म कपड़े पहनते हैं जबकि गर्मियों में सूती।
- सर्दी में चारों ओर कोहरा छाया रहता है किंतु गर्मी में लू चलती है।
- सर्दियों में हम गर्म चीज़ें खाना पसंद करते हैं जबकि गर्मियों में ठंडी चीज़ें अच्छी लगती हैं।
- सर्दी में हम कम्बल ओढ़कर सोते हैं जबकि गर्मियों में पतली चादर।
प्रश्न 15: जाड़े के दिनों के विषय में ऐसी कोई दो उपमाएँ लिखो।
उत्तर:
- बर्फ का बदन
- चेहरा धूप का
तो ये थे Do Laghu Kavitayen Mausam Par Questions & Answers दो लघु कविताएँ मौसम पर प्रश्न और उत्तर